Wo Pahli Baarish ki bund - 1 in Hindi Love Stories by Sonali Rawat books and stories PDF | वो पहली बारिश की बूंद : 1

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वो पहली बारिश की बूंद : 1

वो पहली बारिश की बूंद : 1 क्या जिया राज से शादी कर पाई


जिया की बायोप्सी की रिपोर्ट उस के हाथों में थी. जिस बात का डाक्टर को शक था जिया को वही हुआ था कैंसर और वह भी थर्ड स्टेज. उस के पास इस खूबसूरत दुनिया के अनगिनत रंग देखने के लिए बस कुछ महीने ही थे. वाजिब है कि वह और उस का प्रेमी राज, जिन की कुछ महीने बाद मंगनी तय होनी थी, यह खबर सुन कर टूट कर बिखर चुके होंगे.

इस विचलित करने वाली खबर के साथ मौनसून की दस्तक भी धरती के कई हिस्सों पर पड़ चुकी थी, मगर ये गरजते बादल आसमान में बस कुछ दिनों से थोड़ी देर ठहर कर कहीं और चले जाते थे.जब इंसान किसी पीड़ा से गुजरता होता है तो खासतौर से प्रकृति के होते बदलाव को अपने जीवन से जोड़ कर सोचने लगता है.

आज उन्हें भी इन मनमौजी बादलों को देखते हुए जीवन की कई सचाइयां भलीभांति महसूस होने लगीं, ‘‘यह जिंदगी भी इन बादलों की तरह अपनी मरजी की मालिक है. ये कब बरसेंगे? कब थमेंगे? इस का कोई हिसाबकिताब नहीं जीवनमरण की तरह अनिश्चित और न ही उन के हाथों में होता है.’’वे चुपचाप गुमसुम अपने टू व्हीलर पर सवार यही सोचते मायूस वापस लौट रहे थे कि उन के शरीर से पानी की बूंदें छूने लगीं.‘‘गाड़ी रोको,’’ जिया ने राज के कंधे पर अपने हाथों से थाप देते हुए कहा.

राज को कुछ समझ न आया. शायद उस से कुछ गिर गया हो या हौस्पिटल में कुछ छूट गया होगा. अत: पूछा, ‘‘क्या हुआ कुछ भूल गई क्या?’’‘‘हां.’’‘‘क्या?’’‘‘जीना भूल गई हूं… अब जीना चाहती हूं.’’‘‘जी तो रही हो?’’‘‘ऐसे नहीं, अपने मन की आवाज सुनना चाहती हूं. राज मैं अभी इस बारिश में भीगना चाहती हूं.’’‘‘मेरी बात सुनो हमें यहां से फटाफट निकल लेना चाहिए… तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है. तुम ने दवा भी लेनी शुरू करनी है.’’‘‘भाड़ में जाए यह रिपोर्ट. इतने दिनों से हौस्पिटल के चक्कर लगा और डाक्टरों की बातें सुन एक बात तो मेरे दिमाग में साफ हो गई कि मेरी बीमारी का इलाज उन के हाथ में नहीं, बल्कि मेरे पास है, जो यह कि जितने भी पल शेष बचे हैं उन्हें खुशी से जीना है राज.’’‘‘फिर क्या चाहती हो?’’‘‘आज जब पता चला कि मैं कुछ दिनों की मेहमान हूं तो पता नहीं क्यों अब यह जिंदगी बहुत अच्छी लगने लगी है, जातेजाते जीने का बहुत मन कर रहा है… इसलिए अपना हर पल ऐसे बिताना चाहती हूं जैसे यह मेरा आखिरी पल हो.

मैं अपने मन को बिलकुल उदास नहीं रखना चाहती… वह सबकुछ करना चाहती हूं जो यह दिल चाहता है.’’ राज ने उस की बात सुन कर गाड़ी रोक दी. जिया खुद को आहिस्ताआहिस्ता संभालती गाड़ी से उतर बरसते पानी में अपने पैरों से हौलेहौले छपछप कर खिलखिला, अठखेलियां करती मगन होने लगी. उस की मासूमियत पर राज तो कब से फिदा था.

आज इतनी बड़ी खबर सुन कर भी उस की इतनी शरारत देख कर उस के लिए प्यार इस बारिश की तरह झमझम कर बरस रहा था. वह अपने आंसू पोंछते हुए उसे आवाज देते कहने लगा, ‘‘तुम बीमार पड़ जाओगी.’’‘‘अब और कितना बीमार होना बचा है? मैं ने तय कर लिया है.